चमत्कारी महापुरुष गजानन महाराज
गजानन महाराज का जन्म
कब हुआ, उनके
माता-पिता कौन
थे, इस बारे
में किसी को
कुछ भी पता
नहीं। पहली बार
गजानन महाराज को
शेगांव में 23 फरवरी 1878 में
बनकट लाला और
दामोदर नमक दो
व्यक्तियों ने देखा।
एक श्वेत वर्ण सुंदर
बालक झूठी पत्तल
में से चावल
खाते हुए 'गं
गं गणात बूते'
का उच्चारण कर
रहा था। गजानन
महाराज का अपनी
इंद्रियों पर पूर्ण
नियंत्रण था। 'गं
गं गणात बूते'
का उच्चारण करने
के कारण ही
उनका नाम गजानन
पड़ा।
एक बार जब
महाराज दिगंबर होकर तपस्या
कर रहे थे
तब एक स्त्री
उन पर मोहित
होकर उनके पास
गई, लेकिन उसने
देखा कि महाराज
के तेज से
नीचे रखी घास
भस्म हो गई
है। उस स्त्री
को महाराज के
प्रति गलत भाव
रखने का बहुत
पछतावा हुआ और
उसने उनसे क्षमा
मांगी।
गजानन महाराज के चित्र
में उन्हें चिलम
पीते हुए दिखाया
जाता है। गजानन
महाराज नियमित चिलम पीया
करते थे, लेकिन
उन्हें चिलम पीने
की लत नहीं
थी। माना जाता
है कि वे
अपने बनारस के
भक्तों को खुश
करने के लिए
चिलम पीया करते
थे।
गजानन महाराज चमत्कारी महापुरुष
थे। उनके कई
चमत्कारों को भक्तों
ने प्रत्यक्ष देखा
है।
एक बार महाराज
आंगन कोट में
भ्रमण कर रहे
थे। तेज गर्मी
के कारण उन्हें
प्यास लगी। उन्होंने
वहां से गुजर
रहे भास्कर पाटिल
से पानी मांगा,
लेकिन उसने पानी
देने से मना
कर दिया। तभी
महाराज को वहां
कुआं दिखा, जो
12 वर्षों से सूखा
पड़ा था। महाराज
कुएं के पास
जाकर बैठ गए
और ईश्वर का
जाप करने लगे।
जाप के तप
से कुआं पानी
से भर गया।
इस तरह बहुत
से चमत्कार उनके
भक्तों के बीच
प्रसिद्ध है।
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